Thursday, April 27, 2023

थोड़ा और दूर

थोड़ा और दूर लेकिन 
उस किनारे पर मुलाक़ात होगी 
जहाँ फासले नहीं
सिर्फ क़ुर्बत ही होगी 
सफर मुख़्तसर जरूर होगा 
मगर यादगार होगा 

कुछ कदम दूर 
हमारी मौजूदगी होगी 
जब हवाएँ चलेंगी 
झमाझम बारिश होगी
और तुम्हारे सारे तूफानों को 
समेटे ये फ़िज़ा होगी
 
फिर चाहे ये वक़्त
साथ न दे 
किस्मत में मयस्सर होना 
ना भी हो 
कुछ तुम्हारी कुछ मेरी बदौलत बनाई 
ये ज़ंजीरें कभी तो टूटेंगी 

बेशक़ चढ़ता सूरज 
साथ नहीं देखा 
यक़ीनन कभी ढलते हुए 
उसके तजुर्बों में तुम जरूर मिलोगे 
खुद में मैं तुम्हारी 
उल्झनें समाए तभी तो बेदर्द होंगी


When Time Slips Through

All these men walking faster along the way, To spend those few extra moments of the day. Here I sit in solitude Silent, unloved,  uncherishe...